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शिव मंदिर की वह रहस्यभरी पूजा, जिसे करने वाला कभी खाली हाथ नहीं लौटता"
सावन का पहला सोमवार था। मंदिर की घंटियों की गूंज और ओम नमः शिवाय की ध्वनि आसमान में घुली हुई थी। श्रद्धालु आते, जल चढ़ाते और वापस लौट जाते। लेकिन एक वृद्ध साधु वहीं खड़ा-खड़ा सबको देख रहा था।
अचानक, उसने एक युवा को पास बुलाया और कहा,
"क्या तुम जानना चाहते हो वह रहस्य, जो सिर्फ गिने-चुने भक्तों को पता है? ऐसा रहस्य जिससे भगवान शिव न केवल प्रसन्न होते हैं, बल्कि उनका पूरा परिवार तुम्हारी रक्षा करता है?"
युवक ने सिर हिलाया। तब साधु ने एक कागज़ पर सात स्थानों के नाम लिखे और फुसफुसाकर बोला,
"शिवलिंग पर इन स्थानों पर चंदन लगाओ, लेकिन श्रद्धा के साथ। यह साधारण पूजा नहीं है, यह शिव की गुप्त साधना है।"
लिंग का शीर्ष भाग – जहाँ ब्रह्मांड की ऊर्जा एकत्रित होती है।
जलाधारी – पार्वती का प्रतीक, जो शांति और प्रेम लाती है।
दाहिनी ओर – जहाँ गणेश का वास है, विघ्नों का नाशक।
बाईं ओर – जहाँ स्कंद (कार्तिकेय) का तेज है, आत्मबल का स्रोत।
जल प्रवाह मार्ग – अशोक सुंदरी की कृपा से समृद्धि आती है।
नंदी के दोनों सींग – जो प्रार्थनाओं को सीधे शिव तक पहुंचाते हैं।
पीछला भाग – जहाँ समर्पण का द्वार खुलता है।
"पर ध्यान रखना," साधु ने आगे कहा,
"यह पूजा सिर्फ वही कर सकता है, जिसमें श्रद्धा और संयम हो। वरना परिणाम उल्टा भी हो सकता है।"
युवक ने विधि अपनाई। और फिर... कुछ ही समय में उसके जीवन की हर उलझन जैसे अपने आप सुलझने लगी। करियर, संबंध, स्वास्थ्य—हर क्षेत्र में चमत्कारिक परिवर्तन हुआ।
आज वह युवक खुद हर सावन में मंदिर जाता है, लेकिन किसी को यह रहस्य नहीं बताता... क्योंकि सच्ची साधना, गूढ़ होती है।